अमेरिका से निर्वासित भारतीयों पर विदेश मंत्री का बयान, कहा- सुनिश्चित कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ दुर्व्यवहार न हो

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अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों पर राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो उन्हें वापस ले लिया जाए। हम अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वापस लौटने वाले निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो. लोगों को हथकड़ी लगाए जाने के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि अवैध लोगों को हथकड़ी लगाना अमेरिका की पॉलिसी है. हालांकि उन्होंने कहा कि हथकड़ी लगाकर, सैन्य विमान में ठूंसकर भेजना अस्वीकार्य है। प्रधानमंत्री मोदी अगले हफ्ते अमेरिका में होंगे और इस मुद्दे पर सख्ती से बात करेंगे।

जयशंकर ने कहा कि सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर है। ऐसा होना भी चाहिए। निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी. विदेश मंत्री ने कहा कि सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो वे अपने नागरिकों को वापस लें। यह नीति केवल एक देश पर लागू नहीं है। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, यह कई वर्षों से है।

जयशंकर ने कहा, ‘अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर न हो। कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए हैं। हमने ही उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की है।

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हमें ऐसा नहीं समझना चाहिए कि यह कोई नया मुद्दा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो पहले भी होता रहा है। कानूनी गतिशीलता को प्रोत्साहित करना और अवैध आवागमन को हतोत्साहित करना हमारे सामूहिक हित में है। सभी देशों का यह दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो उन्हें वापस ले लिया जाए। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है।’

जयशंकर ने अमेरिका से अब तक भारत निर्वासित किए गए लोगों के आंकड़े भी सदन के सामने रखे। उन्होंने कहा कि साल 2009 में 734, साल 2010 में 799, साल 2011 में 597, साल 2012 में 530 भारतीयों को निर्वासित किया गया। उन्होंने इस संबंध में 2024 तक के आंकड़े साझा किए।

दरअसल, अमेरिका में कथित तौर पर बिना दस्तावेजों के रह रहे भारतीयों को निर्वासित किए जाने के मुद्दे पर गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने हंगामा किया। इससे पहले अमेरिकी सेना का एक विमान बुधवार को अमेरिका में कथित तौर पर बिना दस्तावेजों के रह रहे भारतीयों को लेकर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था।

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद से ये अमेरिका में रह रहे भारतीयों का पहला निर्वासन है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक वार्ता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी वॉशिंगटन यात्रा से कुछ ही दिन पहले यह कार्रवाई हुई है.

निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक लड़का, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं.

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