
मां कामाख्या देवी मंदिर.. से तो आप सब परिचित होंगे. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. भारत में लोग इसे अघोरियों और तांत्रिक का गढ़ मानते हैं. असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 10 किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है ये मंदिर. इसकी खास बात यह है कि यहां न तो माता की कोई मूर्ति है और न ही कोई तस्वीर. बल्कि यहां एक कुंड है, जो हमेशा ही फूलों सें ढंका रहता है. दरअसल इस मंदिर में देवी के योनी भाग की पूजा होती है. मान्यता है कि आज भी माता यहां पर रजस्वला होती हैं.
मंदिर में रोज़ाना हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. लंबी दूरी तय कर भक्त माता के दरबार में पहुंचते हैं इस विश्वास के साथ कि माता उनकी मनोकामना पूरी करेंगी. दर्शन के लिए लाइन में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करने के बाद दर्शन करके भक्त अत्यंत सुख और संतुष्टि का अनुभव करते हैं. लेकिन अगर आपको ये पता चले कि चंद रुपयों के खेल से कुछ लोगों को विशेष तौर पर पहले दर्शन कराने का लाभ दिया जाता है तो आप कैसा महसूस करेंगे?

जी हां, ये सच है. बड़ी आशा लेकर माता के दर्शन के लिए यहां आने वाले भक्तों को काफी कड़वे अनुभव भी झेलने पड़ते हैं. दरअसल कामाख्या शक्तिपीठ में स्पेशल तरीके दर्शन कराने के नाम पर लूट मची हुई है. मंदिर में बिचौलए सक्रिय हो गये हैं जो दर्शन के लिए भक्तों से पैसे वसूलते हैं. दर्शनार्थियों से वीआईपी दर्शन के नाम पर रुपये लिए जाते हैं. 5 से 10 हजार रूपये तक की जाती है वसूली.
आस्था के नाम पर मंदिर में पुजारियों के बिचौलियों ने लूट मचा रखी है, कई बार भक्त इनके चुंगल में फंस जाते हैं और पैसे देने को मजबूर हो जाते हैं. इन बिचौलियों का दबदबा इस कदर हावी है कि इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है. और ये लोग बड़ी बेफिक्री से सीधे-साधे लोगों से पैसों की उगाही करते हैं. और जो भक्त इन्हें पैसे देने में सक्षम नहीं होते उन्हें 3-3 दिनों तक लाइन में इंतज़ार करना पड़ता हैं.