
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस साल हुए महाकुंभ में कई रिकॉर्ड बने हैं। बीते 44 दिनों में 65 करोड़ से ज्यादा भक्तों ने महाकुंभनगरी पहुंचकर संगम में डुबकी लगाई है। श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा भी की गई है अगर संख्या के लिहाज से बात करें तो यह भारत की कुल आबादी का 50 फीसदी से ज्यादा है। यानी आधे से ज्यादा भारत इस बार महाकुंभ में डुबकी लगा चुका है। इतना ही नहीं इस महाकुंभ में इस बार और भी कई रिकॉर्ड बने हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर इस बार महाकुंभ में क्या-क्या रिकॉर्ड बने हैं? संख्या के लिहाज से यह आयोजन कितना बड़ा है। बीते 44 दिनों में प्रयागराज की जनसंख्या कितने देशों की आबादी से ज्यादा रही है? इसके अलावा इस महाकुंभ में ऐसे कौन से रिकॉर्ड हैं, जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बना सकते हैं। आइये जानते हैं…
भारत की आबादी के चलते यहां होने वाले कई आयोजनों में लाखों लोगों की संख्या देखी जाती है। हालांकि, कुंभ मेलों में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोगों का समागम देखते ही बनता है। यही वजह है कि दुनिया के कुछ सबसे बड़े जुटानों में 2025 के महाकुंभ मेले से पहले 2019 को प्रयागराज में हुआ अर्ध कुंभ, 2013 में प्रयागराज में हुआ कुंभ और 2010 में हरिद्वार में हुआ कुंभ शामिल है।
चौंकाने वाली बात यह है कि दुनिया में किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या अन्य आयोजनों में इतनी भीड़ नहीं जुटी है। उदाहरण के लिए सऊदी अरब में हर साल होने वाले हज में करीब 25 लाख मुस्लिम मक्का में एकत्रित होते हैं। दूसरी तरफ इराक में हर साल होने वाले अरबईन में दो दिन में 2 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री जुटते हैं।
प्रयागराज में 44 दिन में जुटे श्रद्धालुओं की संख्या दुनिया के 231 देशों की आबादी से ज्यादा है। सिर्फ भारत और चीन की आबादी ही प्रयागराज पहुंचे लोगों की संख्या से ज्यादा रही। जहां भारत की अनुमानित आबादी 145 करोड़ है, वहीं चीन की अनुमानित जनसंख्या 141 करोड़ है। इसके बाद नंबर आता है अमेरिका का, जहां की आबादी महज 34 करोड़ है। यानी महाकुंभनगर में पहुंचे लोगों के मुकाबले सिर्फ आधी।
महाकुंभ में अमेरिका की दोगुनी से ज्यादा, पाकिस्तान की ढाई गुना से अधिक और रूस की चार गुनी से ज्यादा आबादी के बराबर श्रद्धालु यहां अब तक आ चुके हैं। यही नहीं, जापान की पांच गुना आबादी, यूके की 10 गुना से ज्यादा आबादी और फ्रांस की 15 गुना से ज्यादा आबादी ने यहां आकर त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाई है।
दूसरी तरफ अगर इस आबादी की अलग-अलग महाद्वीप की जनसंख्या से भी तुलना करें तो यह कई रिकॉर्ड तोड़ती है। मसलन दुनिया में आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से एशिया सबसे बड़ा महाद्वीप है, जबकि ऑस्ट्रेलिया सबसे छोटा महाद्वीप है। प्रयागराज में 44 दिन में जितने श्रद्धालु पहुंचे हैं, वह तीन महाद्वीप- ऑस्ट्रेलिया, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप से ज्यादा रही। वहीं, यूरोप की आबादी से अगर रूस को निकाल दिया जाए तो महाकुंभ में यूरोप से ज्यादा आबादी पहुंची।
प्रयागराज में 44 दिन के अंदर पहुंची भीड़ का आंकड़ा करीब 65 करोड़ पार पहुंच रहा है। आंकड़ों की बात करें तो दुनिया के 234 देशों और रिहायशी द्वीपों के मुकाबले महाकुंभनगरी में 30 दिन के अंदर ही भारत और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी के बराबर जमावड़ा हो चुका है। सिर्फ भारत (आबादी 1 अरब 45 करोड़) और चीन (आबादी 1 अरब 41 करोड़) ही इस आंकड़े से आगे हैं। वहीं, अमेरिका (आबादी 34 करोड़ 54 लाख), इंडोनेशिया (28 करोड़ 34 लाख) और पाकिस्तान (25 करोड़ 12 लाख) की आबादी भी प्रयागराज में पहुंचे लोगों से कम ही रही है।
स्वच्छता से जुड़े रिकॉर्ड
24 फरवरी के दिन करीब 15 हजार स्वच्छता कर्मियों ने 10 किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ सफाई का रिकॉर्ड बनाया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड इसे लेकर 28 फरवरी को फैसला दे सकता है।
14 फरवरी को नदी स्वच्छता का रिकॉर्ड बना गया था। उस दिन 300 कर्मचारियों ने नदी की सफाई का रिकॉर्ड बनाया था। गिनीज बुक ने इसे रिकॉर्ड में शामिल किया है।
इससे पहले 2019 के अर्धकुंभ में 10 हजार सफाई कर्मचारियों ने संगम तथा अन्य स्थानों पर एक साथ स्वच्छता अभियान चलाने का रिकॉर्ड बनाया था।
बसों के सबसे बड़े संचालन का रिकॉर्ड
महाकुंभ मेला के आखिरी दिन 700 शटल बसों के एक साथ संचालन का भी विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। यहां बसों की परेड कराई जाएगी। मेला प्रशासन इसके माध्यम से अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगा। कुंभ 2019 में 500 बसों के संचालन का रिकॉर्ड बनाया था। इस तरह एक दिन में सर्वाधिक बसों का संचालन कर नया रिकॉर्ड बनाए जाने की तैयारी है।
मौनी अमावस्या पर एक दिन में सबसे बड़े जुटाव का रिकॉर्ड
प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर करीब 7.6 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। जो कि एक दिन में किसी एक जगह पर लोगों के जुटाव का रिकॉर्ड है। दरअसल, प्रयागराज की आबादी करीब 1 करोड़ है। यानी मौनी अमावस्या के दिन जिले में करीब 8.6 करोड़ लोग पहुंचे थे।
जर्मनी जिसकी आबादी 8 करोड़ से ज्यादा है, मौनी अमावास्या के दिन उसकी आबादी भी प्रयागराज पहुंची भीड़ से कम रही। इसके अलावा यूरोप के सभी देशों की आबादी मौनी अमावस्या के शाही स्नान के लिए जुटी भीड़ से कम थी। जहां ब्रिटेन की आबादी 6 करोड़ 91 लाख है, तो वहीं फ्रांस की जनसंख्या 6.65 करोड़ ही है।
इतना ही नहीं अमेरिका के 54 देशों में से सिर्फ तीन देशों की आबादी ही मौनी अमावस्या पर प्रयागराज से ज्यादा रही। इनमें अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको शामिल हैं। जबकि कोलंबिया, अर्जेंटीना, कनाडा से लेकर उरुग्वे तक महाकुंभ में प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर लोगों की मौजूदगी से कम रहे।
महाकुंभ पर और कौन से बड़े रिकॉर्ड
– महाकुंभ में कुल 44 दिन में 65 करोड़ से ज्यादा लोग पहुंचे। यानी हर दिन 1.5 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई।
– महाकुंभ के लिए प्रयागराज से 15 हजार से अधिक ट्रेनें चलीं। इनमें बैठकर करोड़ों लोग महाकुंभ पहुंचे।