
सुप्रीम कोर्ट ने CAG की नियुक्ति के मामले में एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि CAG के चयन पैनल में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को भी शामिल किया जाए। इस याचिका को पहले से दाखिल एक याचिका के साथ जोड़ा गया है, और केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया है।
NGO सेंट्रल फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन की ओर से दाखिल इस याचिका में CAG की नियुक्ति को लेकर मौजूदा व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं। वर्तमान व्यवस्था के तहत CAG की नियुक्ति केवल प्रधानमंत्री की सिफारिश पर की जाती है, जिस पर याचिकाकर्ताओं ने आलोचना की है। याचिका में कहा गया है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी पैदा करती है।
याचिका में मांग की गई है कि CAG की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन किया जाए, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह पैनल CAG की नियुक्ति में राजनीति से मुक्त और पारदर्शी तरीके को सुनिश्चित करेगा। इस कदम से CAG को और अधिक निष्पक्ष और प्रभावी बनाने की उम्मीद जताई जा रही है, खासकर सरकारी खर्चों की निगरानी में।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर पहले से दाखिल एक याचिका के साथ इस याचिका को जोड़ते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने CAG की नियुक्ति के लिए कोई पैनल या चयन समिति गठित करने की बजाय केवल प्रधानमंत्री की सिफारिश पर इस पद की नियुक्ति की थी। यह व्यवस्था विपक्ष और कई राजनीतिक दलों द्वारा पक्षपाती करार दी जा चुकी है, क्योंकि इसमें सरकार के पक्ष में भेदभाव की संभावना जताई जाती है।
इस याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट का यह कदम एक अहम प्रशासनिक और राजनीतिक सुधार की दिशा में देखा जा रहा है। CAG की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल बनाने की मांग से यह उम्मीद की जा रही है कि यह संस्था सरकारी खर्चों की निगरानी में और भी अधिक निष्पक्ष और प्रभावी बनेगी, जिससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।