
कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने विदेश मंत्रालय (MEA) के बजट में बढ़ोतरी की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि वर्तमान बजट भारत की बढ़ती विदेश नीति जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि भारत को अपनी बढ़ती भू-राजनीतिक स्थिति और बदलते वैश्विक रिश्तों के अनुसार एक व्यापक विदेश नीति बनानी चाहिए।
2025-26 के लिए विदेश मंत्रालय का बजट अनुमान 20,516.61 करोड़ रुपए रखा गया है, जो पिछले वर्ष के बजट अनुमान से 7.39% और 2024-25 के संशोधित अनुमान से 18.83% कम है। समिति ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और आर्थिक ताकत को देखते हुए एक मजबूत और विस्तृत विदेश नीति रणनीति की आवश्यकता है, जो मौजूदा बजट से कहीं अधिक संसाधनों की मांग करती है।
समिति ने यह भी सवाल उठाया कि क्या विदेश मंत्रालय ने कोई ‘ग्रैंड स्ट्रेटेजी’ बनाने पर विचार किया है। इस रणनीति का उद्देश्य विदेश नीति के लिए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण विकसित करना होना चाहिए, जो भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को ध्यान में रखे। पैनल ने जोर दिया कि भारत को अपनी बढ़ती भू-राजनीतिक ताकत के अनुरूप विदेश नीति तैयार करने में पीछे नहीं रहना चाहिए।
समिति ने लगभग 250 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के प्रयासों को सराहा, जिसमें दूसरे देशों की विदेश नीति रणनीतियों का आकलन किया गया। हालांकि, समिति ने भारत को अपनी विदेश नीति रणनीति को भविष्य के दृष्टिकोण से तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को यह तय करना होगा कि वह वैश्विक मंच पर कौन सी भूमिका निभाना चाहता है और उस भूमिका को निभाने के लिए क्या कदम उठाएगा।
समिति ने विदेश मंत्रालय को अपनी नीतियों को लागू करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने की सिफारिश की है। इसके तहत मंत्रालय को अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने, दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को आधुनिक बनाने और अपनी संचार रणनीतियों को बेहतर करने के लिए निवेश करने की आवश्यकता है। पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि विदेश मंत्रालय को अन्य सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया कि भारत को ऐसी विदेश नीति की जरूरत है, जो उसके राष्ट्रीय हितों की रक्षा करे, आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा दे और दुनिया में उसकी आवाज को बुलंद करे। रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को गंभीरता से लागू करना भारत के लिए एक प्रभावी और सशक्त विदेश नीति को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।