
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी मुडा लैंड स्कैम केस में एंटी करप्शन वॉचडॉग लोकायुक्त की तरफ से क्लीन चिट मिल गई है। ये मामला मुआवजा के लिए सिद्दारमैया की पत्नी को हुए भूमि आवंटन में कथित गड़बड़ी की शिकायत के बाद सामने आया था। एंटी करप्शन एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया था कि इस गड़बड़ी के कारण राज्य को करीब 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
लोकायुक्त ने कहा कि इस मामले में सिद्दारमैया के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। बता दें कि पिछले साल एंटी करप्शन एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर मुकदमा चलाने की मांग की थी। लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता को दिए नोटिस में कहा है कि सिद्दारमैया और दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए कोई सबूत ही नहीं हैं। स्नेहमयी कृष्णा को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। इसके बाद मामले में लोकायुक्त फाइनल रिपोर्ट जारी करेगा।
आरोप है कि सिद्दारमैया की पत्नी को मैसूर के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक साइटें आवंटित की गईं, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत किया गया था। MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां इसने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था। 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।