
दिल्ली की पूर्व सीएम व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को पत्र लिखा है. आतिशी ने लिखा कि यह पत्र मैं अत्यंत पीड़ा और व्यथा के साथ लिख रही हूं। लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत उसकी निष्पक्षता और समानता होती है। लेकिन बीते दिनों में जो कुछ भी दिल्ली विधानसभा में हुआ, वह केवल विपक्ष के विधायकों के साथ अन्याय ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी कड़ा प्रहार है।
आतिशी ने लिखा कि 25 फरवरी को सदन में उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए, जबकि विपक्षी विधायकों ने बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों का सम्मान करते हुए ‘जय भीम’ के नारे लगाए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्ता पक्ष के किसी भी विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन विपक्ष के 21 विधायकों को ‘जय भीम’ का नारा लगाने पर सदन से तीन दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि यह अन्याय यहीं नहीं रुका, 27 फरवरी को जब निलंबित विधायक लोकतांत्रिक तरीके से विधानसभा परिसर में मौजूद गांधी की प्रतिमा के समक्ष शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने जा रहे थे, तो उन्हें विधानसभा के गेट से 200 मीटर पहले ही रोक दिया गया और विधानसभा परिसर में दाखिल होने से ही रोक दिया गया। यह केवल विधायकों का ही नहीं, बल्कि जनता द्वारा दिए गए जनादेश का भी अपमान है।

आतिशी ने कहा अध्यक्ष जी, आप भी वर्षों तक विपक्ष के नेता रहे हैं। जब आपको किसी कारणवश सदन से निलंबित किया जाता था, तब भी आपको विधानसभा परिसर में जाने और गांधी प्रतिमा के समक्ष विरोध दर्ज कराने से नहीं रोका जाता था। क्योंकि यह हमारा लोकतांलिक अधिकार है। लेकिन आज, विपक्ष के विधायकों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
आतिशी की ओर से कहा गया कि हमने देश की संसद में भी यह परंपरा देखी है कि जब किसी सांसद को सदन से निलंबित किया जाता है, तो उन्हें संसद परिसर में जाकर गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन करने की अनुमति होती है। यह एक संवैधानिक परंपरा रही है, जिसे आज तक किसी ने नहीं तोड़ा। लेकिन दिल्ली विधानसभा में यह पहली बार हुआ है कि चुने गए विधायकों को विधानसभा परिसर में घुसने तक नहीं दिया गया।
आतिशी ने आगे कहा अध्यक्ष जी, जिस नियम का हवाला देकर विपक्षी विधायकों को रोका गया, उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा कि निलंबित विधायक विधानसभा गेट में प्रवेश नहीं कर सकते या गांधी और आंबेडकर की प्रतिमा तक नहीं जा सकते। ऐसे में यह स्पष्ट है कि यह निर्णय केवल विपक्ष को दबाने और उनकी आवाज को कुचलने के लिए लिया गया।
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आतिशी ने कहा हमारा संविधान हमें यह अधिकार देता है कि हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठा सकें। लेकिन अगर विपक्ष की आवाज को ही दबा दिया जाएगा, अगर विधायकों को जनता के सवाल सदन के अंदर और बाहर उठाने से रोका जाएगा, तो फिर लोकतंत्र बचेगा कैसे?