
तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से आठ मजदूर अंदर फंस गए हैं और उन्हें बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान बड़े पैमाने पर जारी है। लेकिन श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल सुरंग में बचाव अभियान को रविवार सुबह बड़ा झटका लगा है। जब एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों के सामने सुरंग के ढह चुके हिस्से तक पहुंचने में बड़ी दिक्कतें खड़ी हो गई।
बचाव अभियान की जानकारी देते हुए, एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सुरंग के अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं है। छत ढह जाने से अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है और घुटनों तक कीचड़ भी भरा हुआ है। इसके बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और अन्य बचाव दल, सिंगरेनी कोलियरीज के अधिकारियों के साथ सुरंग के ढह चुके हिस्से का निरीक्षण करने के बाद वापस लौट गए।

वहीं सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकाले के दूसरे कई प्रयासों पर काम हो रहा है। मामले में तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले लोग भी शामिल हैं।
दरअसल शनिवार सुबह टनल बोरिंग मशीन के साथ पहली शिफ्ट में 50 से अधिक लोग सुरंग के अंदर गए थे। वे टनल के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए, इसी दौरान पानी के तेज बहाव के चलते सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया। इस दौरान मशीन के आगे चल रहे 2 इंजीनियर समेत छह मजदूर वहां फंस गए, जबकि 42 कर्मचारी सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर निकलने में सफल रहे। बताया जा रहा है कि अचानक पानी के साथ मिट्टी बहकर आने लगी और सुरंग का ऊपरी हिस्सा ढह गया।
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने कहा-
कल रात करीब 10 बजे हम स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सुरंग के अंदर गए। सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर की दूरी में से हमने 11 किलोमीटर लोकोमोटिव पर और बाकी 2 किलोमीटर कन्वेयर बेल्ट पर तय किया। जब हम टनल बोरिंग मशीन के अंत में पहुँचे, तो हमने फँसे हुए श्रमिकों से उनके नाम पुकारकर संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन हमें कोई आवाज सुनाई नहीं दी।
सुखेंदु ने आगे बताया कि-
मलबे से 200 मीटर का पैच भरा हुआ है। जब तक इस मलबे को साफ नहीं किया जाता, हम फँसे हुए श्रमिकों का सही स्थान नहीं जान पाएंगे और उन्हें बचा नहीं पाएँगे। सुरंग के 11-13 किलोमीटर के बीच के पैच में पानी भरा हुआ है और जब तक पानी नहीं निकाला जाता, तब तक मलबा साफ करने का काम शुरू नहीं होगा। हमारी पहली टीम कल शाम करीब 7 बजे यहां पहुंची। फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी तक पता नहीं चल पाया है।
इस मामले में राज्य सरकार सेना और एनडीआरएफ की भी मदद ले रही है। फंसे हुए लोगों में से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार अन्य मजदूर हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक फंसे हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में सांस लेने के लिए हवा का प्रबंध किया गया है। ईटीएफ विशेषज्ञ इंजीनियरिंग टीमें, सेना चिकित्सा कोर के फील्ड एम्बुलेंस से एक मेडिकल टुकड़ी, कुछ एम्बुलेंस, तीन उच्च क्षमता वाले पंपिंग सेट, बख्तरबंद होज और अन्य सहायक उपकरण से लैस है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरंग में प्रवेश करने वाली टीमों की मदद के लिए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर तक रास्ता साफ है और सुरंग के 14 किमी पर ढांचा ढह गया है। हालांकि, बचाव दल सुरंग की समग्र स्थिति को लेकर आशंकित हैं। वहीं तेलंगाना के मुख्य सचिव के अनुरोध पर सेना ने महत्वपूर्ण बचाव अभियान के लिए अपने इंजीनियर टास्क फोर्स को मौके पर भेजा है।
तेलंगाना और आंध्र सब एरिया मुख्यालय और इन्फैंट्री डिवीजन मुख्यालय की तरफ से मामले की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है, ताकि सेना, नागरिक अधिकारियों और अन्य बचाव दलों के बीच निर्बाध समन्वय सुनिश्चित किया जा सके। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एसएलबीसी सुरंग में चल रहे बचाव प्रयासों के बारे में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से बात की। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को बचाव कार्यों में केंद्र सरकार की ओर से पूरी सहायता का आश्वासन दिया है।

इधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना पर चिंता जताई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि- उन्हें बताया गया है कि राज्य सरकार बचाव दलों के साथ, फंसे लोगों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, मुझे बताया गया है कि बचाव अभियान जारी है और राज्य सरकार आपदा राहत दलों के साथ फंसे लोगों को बचाने का हर संभव प्रयास कर रही है।