
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत की थी और युद्ध समाप्त करने की एक अच्छी संभावना की बात की थी। इसके साथ ही, ट्रंप ने पुतिन से यह भी कहा कि वे कुर्स्क में घिरे यूक्रेनी सैनिकों की जान बख्श दें। हालांकि, पुतिन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ कह दिया कि अगर यूक्रेनी सैनिकों को अपनी जान बचानी है, तो उन्हें आत्मसमर्पण करना होगा। यह स्थिति दर्शाती है कि अमेरिका का रूस पर दबाव उतना प्रभावी नहीं है, जितना कि पश्चिमी देशों ने उम्मीद की थी।
कुर्स्क क्षेत्र की रणनीतिक महत्ता
कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सैनिकों द्वारा किए गए हमले के बाद, यह क्षेत्र युद्ध के लिहाज से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया है। यूक्रेन के लिए यह कब्जा रूस से बातचीत में बढ़त पाने का एक अवसर था, जिससे वे रूस के कब्जे वाले इलाकों को वापस ले सकते थे। ट्रंप ने पुतिन से इस संदर्भ में बात की थी, लेकिन बाद में व्हाइट हाउस ने बताया कि ट्रंप ने पुतिन से सीधे बातचीत नहीं की थी, बल्कि एक अमेरिकी दूत ने लंबी बैठक की थी।
पुतिन का सख्त संदेश
पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि अगर यूक्रेनी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, तो उनके जीवन की रक्षा की जाएगी, लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा। रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष, दिमित्री मेदवेदेव ने भी इस संदेश को और कड़ा करते हुए कहा कि आत्मसमर्पण से इनकार करने वाले सैनिकों को निर्दयतापूर्वक नष्ट किया जाएगा। यह बयान रूस की कठोर रणनीति और उसकी स्थिति को दर्शाता है।
अमेरिका का दबाव कमजोर दिखता है
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि रूस के सामने अमेरिका का दबाव काफी कमजोर दिख रहा है। पुतिन ने युद्ध के मोर्चे पर अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए दिखाया कि वे किसी भी प्रकार की बातचीत को अपनी शर्तों पर ही करेंगे। ट्रंप की कोशिशें और अमेरिका का रुख इस जंग में कुछ खास बदलाव लाने में नाकाम रहे हैं, और रूस की स्थिति मजबूत होती जा रही है।