होली के दिन लग रहा 2025 का पहला चंद्र ग्रहण, भारत में नहीं आएगा नज़र

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आज 14 मार्च 2025 को साल का पहला चंद्र ग्रहण होली के दिन लग रहा है। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका खगोलिया और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रभाव बनेगा। चंद्र ग्रहण का असर न केवल मनुष्य बल्कि सभी जीव-जंतु और प्रकृति पर भी पड़ेगा। ग्रहण के दौरान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ईश्वर का जप और तप करने का महत्व बताया जाता है, और ग्रहण के बाद दान करने से ग्रहण दोष समाप्त होता है।

चंद्र ग्रहण सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे सूर्य की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुंच पातीं और चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ जाती है। इस दौरान चंद्रमा सूर्ख लाल दिखाई देने लगता है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। इस ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जाएगा, क्योंकि इसमें चंद्रमा का केवल कुछ हिस्सा ही ग्रहण के प्रभाव में रहेगा।

चंद्र ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह ग्रहण यहां दिखाई नहीं देगा। हालांकि, आमतौर पर सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू होता है और ग्रहण समाप्ति के बाद समाप्त हो जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को भी छूने से बचना चाहिए।

इस ग्रहण के दौरान कई शुभ योग बन रहे हैं, जैसे लक्ष्मी नारायण योग, त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग और नीचभंग राजयोग। इन योगों का असर खासकर वृषभ, कर्क, तुला, धनु और मकर राशि पर अच्छा रहेगा, जबकि मेष, मिथुन, कन्या, वृश्चिक और कुंभ राशि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सिंह और मीन राशि पर ग्रहण का प्रभाव सामान्य रहेगा।

चंद्र ग्रहण का असर सिर्फ राशियों पर ही नहीं बल्कि गर्भवती महिलाओं पर भी पड़ता है। ग्रहण से निकलने वाली ऊर्जा अशुद्ध मानी जाती है, जिससे मां और बच्चे की सेहत पर असर पड़ सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, इस दौरान जरूरी निर्णय लेने से बचें और शांत रहें। ग्रहण का प्रभाव मानसिक शांति को भी प्रभावित करता है, इसलिए इस समय सकारात्मक विचारों के साथ समय बिताना और ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।

इस चंद्र ग्रहण का दृश्य ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, एशिया और अंटार्कटिका में देखा जाएगा, लेकिन भारत में यह दिखाई नहीं देगा।

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