
शुक्रवार तड़के उत्तराखंड के चमोली जनपद में माणा से चीन सीमा तक माणा पास हाईवे के चौड़ीकरण के लिए पहुंचे 55 श्रमिक बर्फ के सैलाब की चपेट में आ गए। शनिवार को भी राहत-बचाव कार्य जारी है और अब तक 50 मजदूरों को बर्फ से निकाला गया। जिनमें से चार श्रमिकों की की मौत हो गई है। पांच अभी भी लापता हैं। जिनकी तलाश जारी है।
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घटना के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी राहत-बचाव कार्य पर नजर बनाए हुए हैं। जहां यह एवलांच आया वह स्थान बदरीनाथ धाम से केवल तीन किमी दूर है. श्रमिकों के कैंप के पास स्थायी तौर पर रहने वाली सेना व आइटीबीपी की टीम मौजूद थी। जिस कारण तमाम जिंदगियां बचा ली गईं। वरना मृतक श्रमिकों की संख्या कई अधिक हो सकती थी।
घटना के दौरान 22 श्रमिक बदरीनाथ धाम की तरफ भागने में सफल रहे। शुक्रवार को मौसम की चुनौतियों और अंधेरे को देखते हुए देर शाम रेस्क्यू रोक दिया गया था। शनिवार सुबह फिर से श्रमिकों की खोजबीन शुरू की गई। शुक्रवार को 33 श्रमिकों को बचाया गया था।
प्रभावित क्षेत्र में कई दिन से लगातार बर्फबारी हो रही थी और साथ ही लगातार एवलांच भी आ रहे थे। यही कारण था कि शुक्रवार को जोशीमठ और जिला मुख्यालय गोपेश्वर समेत विभिन्न स्थानों से रवाना हुई एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व प्रशासन की घटना स्थल पर नहीं पहुंच पाईं। केंद्र सरकार भी घटना पर नजर बनाए रहीं। प्रदेश सरकार ने केंद्र से वायुसेना की मदद मांगी और रेस्क्यू के लिए एमआई-17 हेलीकाप्टर उपलब्ध कराने का आग्रह किया। चमोली के डीएम डा. संदीप तिवारी और एसपी सर्वेश पंवार जोशीमठ में कैंप किया।
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दरअसल शुक्रवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे श्रमिक कैंप में सो रहे थे, तभी नर पर्वत श्रृंखला की मोलफा बांक घाटी से गुजर रहे दौणा ग्लेशियर से हिमस्खलन हुआ। बर्फ के सैलाब ने श्रमिकों के कैंप को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बाद सेना व आइटीबीपी को श्रमिकों के बर्फ में फंसे होने की जानकारी मिली।
वहीं सूचना पर जोशीमठ से सेना की एक टुकड़ी माणा के लिए रवाना हुई, लेकिन रास्ते में बड़ी मात्रा में बर्फ जमी होने के कारण सेना का वाहन हनुमान चट्टी से आगे नहीं बढ़ पाया। 14 किमी दूर स्थित घटनास्थल के लिए सेना के जवान पैदल ही रेस्क्यू उपकरणों के साथ रवाना हुए।
भारतीय सेना की 175 सदस्यीय टीम श्रमिकों के बचाव अभियान में जुटी रही। श्रमिकों के उपचार के लिए मौके पर दो चिकित्सक व चार एंबुलेंस भी मौजूद रहीं। सेना के चार इंजीनियरों ने भी अभियान में सहयोग किया। रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून से एनडीआरएफ की चार टीमें घटनास्थल के लिए रवाना हुई। माणा स्थित आइटीबीपी के हेलीपैड के अलावा जोशीमठ, रविग्राम व गोविदघाट के हेलीपैड को तैयार किया गया।
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श्रमिकों के उपचार के लिए चमोली जिला अस्पताल के साथ ही श्रीनगर बेस अस्पताल और एम्स ऋषिकेश को तैयार किया गया। एम्स में हेली एंबुलेंस भी तैयार रखी गई। सेना ने भी पांडुकेश्वर में सीमा सड़क संगठन के कैंप में 12 बेड का अस्थायी अस्पताल बनाया है। घटना के दूसरे दिन शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया।
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